Full Viewमहफिल में कभी सिसकियाँ अच्छी नहीं लगतीं
सोचता हूँ की ये दुनिया क्या है
वो पराया है तो अपना क्या हैशाम से चंद साथ है मेरे
आज आकाश में निकला क्या हैउसकी बातें ही ग़ज़ल होती हैं
ये बहर क्या है, ये मिस्र क्या हैकिसको मालूम है पता उसका
उससे मिलने का रास्ता क्या हैखुल के आता नहीं जुबान पे कभी
©Shambhu Shikhar
दिल के अंदर छुपा हुआ क्या है